रूपे कार्ड और यूपीआई से भुगतान पर नए साल से नहीं लगेगा एमडीआर शुल्क

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1 जनवरी 2020 से रूपे डेबिट कार्ड और यूपीआई से भुगतान पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) नहीं लगेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अब नोटिफाइड पेमेंट पर एमडीआर फीस देने की आवश्यकता नहीं होगी।



क्या है एमडीआर?
एमडीआर वह फीस है, जो दुकानदार डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर आपसे लेता है। आप कह सकते हैं कि यह डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट की सुविधा पर लगने वाली फीस है। एमडीआर से हासिल रकम दुकानदार को नहीं मिलती है। कार्ड से होने वाले हर पेमेंट के एवज में उसे एमडीआर चुकानी पड़ती है।



किसे मिलती है एमडीआर की रकम?
क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पेमेंट पर एमडीआर की रकम तीन हिस्सों में बंट जाती है। सबसे बड़ा हिस्सा क्रेडिट या डेबिट कार्ड जारी करने वाले बैंक को मिलता है। इसके बाद कुछ हिस्सा उस बैंक को मिलता है, जिसकी प्वाइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) मशीन दुकानदार के यहां लगी होती है। अंत में एमडीआर का कुछ हिस्सा पेमेंट कंपनी को मिलता है। वीजा, मास्टर कार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस प्रमुख पेमेंट कंपनियां हैं।



कितना लगता है एमडीआर?
छोटे दुकानदार को बिल की रकम का अधिकतम 0.40 फीसदी एमडीआर के रूप में चुकाना होता है। दूसरे दुकानदारों के लिए एमडीआर 0.90 फीसदी है। एमडीआर चार्ज को बढ़ने से रोकने के लिए आरबीआई ने छोटे दुकानदार के लिए प्रति बिल अधिकतम 200 रुपए और बड़े दुकानदारों के लिए अधिकतम 1000 रुपए की सीमा तय कर दी है। क्रेडिट कार्ड पर एमडीआर 0 से 2 फीसदी के बीच हो सकता है।